Friday, 17 May 2019
Wednesday, 15 May 2019
भारत के वो चार 'सेठ', जिनकी ना के बराबर हुई थी पढ़ाई लेकिन कमाया अथाह पैसा
भारत के वो चार 'सेठ', जिनकी ना के बराबर हुई थी पढ़ाई लेकिन कमाया अथाह पैसा
जीवन में सफल होने का एकमात्र मानक उच्च शिक्षा नहीं है. यह हम नहीं कह रहे, भारत की ये दिग्गज हस्तियां साबित कर चुकी हैं.
जीवन में सफल होने का एकमात्र मानक उच्च शिक्षा नहीं है. यह हम नहीं कह रहे, भारत की ये दिग्गज हस्तियां साबित कर चुकी हैं.
जीवन में सफलता के कदम चूमने के लिए साक्षर होना, उच्च शिक्षा हासिल करना, बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों में भारी-भरकम लेक्चर सुनना अनिवार्य नहीं है. इन बातों को हम नहीं कह रहे इन बातों को साबित किया है भारत के शीर्ष के उद्योगपतियों ने. उन शख्सियतों ने जिनकी पढ़ाई-लिखाई न के बराबर हुई है, लेकिन उनका उद्योग हजारों करोड़ का है.
घनश्याम दास बिड़ला, आजादी के आंदोलन के लिए भी दिए पैसे
इस सूची में सबसे ऊपर नाम घनश्याम दास बिड़ला (जीडी बिड़ला) का है. इन्होंने केएम बिड़ला ग्रुप की स्थापना की थी. एक आंकड़े के मुताबिक इस ग्रुप की परिसंपत्तियां करीब 200 अरब रुपये है. जीडी बिड़ला ने आरंभिक पढ़ाई के बाद ही पढ़ाई-लिखाई से तौबा कर लिया था.
जीडी बिड़ला का राजस्थान के पिलानी में 1894 में हुआ था. उन्होंने शुरुआती पढ़ाई के बाद कोलकाता जाकर व्यसाय शुरू कर दिया. यही नहीं उस दौर में जब देशभर में आजादी की लड़ाई छिड़ी हुई थी, उस दौर में आजादी के जननायकों के लिए भी उन्होंने पैसे जुटाने का काम किया. आजादी के आंदोलन में कूदे बेहद पढ़े-लिखे लोगों को जब पैसे की जरूरत पड़ी तो वे जीडी बिड़ला के पास पहुंचे.

बाद में आजाद भारत में इसी केवल प्राथमिक शिक्षा हासिल करने वाले शख्स ने कपड़े, सीमेंट, बिजली, उर्वरक, दूरसंचार, एल्यूमीनियम के क्षेत्र में उल्लेखनीय व्यवसाय बिठाया.
रामकृष्ण डालमिया, नेहरू और जिन्ना दोनों के रहे प्रिय
रामकृष्ण डालमिया ने 18 साल की उम्र में जब कारोबार की दुनिया में कदम रखा, तो पिता विरासत में उनके लिए कुछ भी छोड़कर नहीं गए थे. इसके बाद अगले कुछ सालों में उन्होंने बड़ा उद्योग खड़ा कर लिया. जबकि उनकी शक्षणिक योग्यता के बारे में पता करें तो प्राइमरी के बाद उनके स्कूल या कॉलेज जाने का कोई सबूत नहीं मिलते. लेकिन इन्होंने डालमिया ग्रुप की स्थापना की.
डालमिया राजस्थान के चिरावा नाम के गांव में पैदा हुए थे. यहीं से उन्होंने ऊचाई का रास्ता तय किया. इन्होंने चीनी फैक्ट्री, सीमेंट, पेपर, बैंक, इंस्योरेंस कंपनी, बिस्कुट, एविएशन कंपनी और पब्लिकेशन के क्षेत्र में काम किया. जबकि उनकी अपनी पढ़ाई-लिखाई बहुत ही कम हुई थी.

कहा जाता था कि वो जिस कारोबार में हाथ डालते थे, वहां उन्हें सफलता उनके हाथ चूमते थी. डालमिया के पास अकूत संपत्ति थी और ताकत भी था. वह गांधी से लेकर जिन्ना तक के सीधे संपर्क में रहते थे. वह रसिक और महिलाओं को पसंद करने वाले शख्स भी थे.
वैश्य समाज के बारे में सम्पूर्ण जानकारी के लिए पढ़िए " हमारा वैश्य समाज"
एमडीएच वाले महाशय धर्मपाल गुलाटी, तांगा चलाने से यहां तक का सफर

'महाशय जी' के नाम से प्रसिद्ध धर्मपाल गुलाटी का जन्म साल 1919 में पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ. शुरुआती दिनों में ही बेहतर पढ़ाई के संस्थान और मन ना लगने के चलते इनकी शिक्षा छूट गई थी. यहीं से उनके व्यवसाय की नीव पड़ी. उन्होंने कंपनी की शुरुआत शहर में एक छोटे से दुकान से की. लेकिन 1947 में उनका परिवार दिल्ली आ गया.
ऐसा कहा जाता है कि एमडीएच के मालिक ने दिल्ली पहुंचने के बाद एक तांगा खरीदा जिसमें वह कनॉट प्लेस और करोल बाग के बीच यात्रियों ढोने का काम करते थे. गरीबी की वजह से मजबूर धर्मपाल को इस वक्त अधिक यात्री नहीं मिलते थे, इनमें से कुछ उनके साथ गाली-गलौज भी करते थे.

गरीबी से तंग आकर उन्होंने अपना तांगा बेच दिया और 1953 में चांदनी चौक में एक दुकान किराए पर ले ली जिसका नाम रखा गया महाशिया दी हट्टी (MDH) और वह करना शुरू किया जिसके लिए वह जाने जाते थे- मसालों का व्यापार. अब उनको लेकर कितनी ही तरह की बातें होती हैं.
वालचंद हीराचंद
सेठ वालचन्द हीराचन्द को देश में जहाज बनाने, एयरक्राफ्ट बनाने की शुरआत की थी. इसके रास्ते वे देश के दूसरे व्यापारों में भी आए और एक सफलतम कारोबारी बने. उनका जन्म 23 नवम्बर 1882 गुजरात के जैन परिवर में हुआ था. ऊपर के लोगों की तुलना में इन्होंने स्नातक तक पढ़ने के बाद पढ़ाई छोड़ी थी. लेकिन इनका पाला भी उच्चस्तीय शिक्षा नहीं पड़ा था.

पढ़ाई बीच में ही छोड़ने के बाद उन्होंने पहले फैमिली बिजनेस करना शुरू दिया. लेकिन बाद में उन्होंने घरेलू व्यापार को छोड़ दिया और खुद से जहाजरानी, वायुयान निर्माण, कार निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा और सफलता के कदम चूमे.
साभार: news 18 hindi
Tuesday, 7 May 2019
DEWANG AGRAWAL, MANHAR BANSAL, ICSE INDIA TOPPER,वैश्य समाज का जलवा
वैश्य समाज की सम्पूर्ण जानकारी के लिए पढ़े
" हमारा वैश्य समाज"
साभार: अमरउजाला
INDIA TOPPER तरु जैन ने सोशल मीडिया से दूरी बनाए बगैर की पढ़ाई; 500 में से 499 अंक आए
तरु जैन ने सोशल मीडिया से दूरी बनाए बगैर की पढ़ाई; 500 में से 499 अंक आए

अपनी टॉपर बेटी का मुंह मीठा कराते माता-पिता।
जयपुर की तरु जैन ने 500 में से 499 अंक लाकर सीबीएसई 10वीं में टॉप किया है। तरु ने इस सफलता का क्रेडिट अपने टीचर्स, फ्रेंड्स व फैमिली को दिया है। तरु ने कहा कि वह दिल्ली यूनिवर्सिटी से सीए करना चाहती है या इकॉनोमिक ऑनर्स करना चाहती हूं। उन्होंने कहा कि साेशल मीडिया से दूरी बनाए बगैर पढ़ाई की और यह मुकाम हासिल किया। तरु के पिता आईसीआईसीआई बैंक में चीफ मैनेजर (आई टी) हैं और मां नेहा जैन हाउस वाइफ हैं।
मैंने इतना एक्सपैक्ट नहीं किया था
तरु ने कहा, मैं इस बड़ी सफलता का क्रेडिट अपनी फैमिली, फ्रेंड्स व टीचर्स को देती हूं। मैंने इतना अच्छा परिणाम एक्सपैक्ट नहीं किया था। भविष्य में क्या करना है के बारे में पूछे जाने पर तरु ने कहा, मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी से सीए करना चाहती हूं।
वैश्य समाज के बारे में सम्पूर्ण जानकारी के लिए पढ़िए, "हमारा वैश्य समाज "
सोशल मीडिया से नहीं बनाई दूरी
तरु ने कहा कि वह आधे घंटे सोशल मीडिया पर एक्टिव रहती हैं। मैं कभी नहीं कहूंगी की सोशल मीडिया से पूरी तरह कटे रहें। यह रुटीन पढ़ाई के दौरान भी जारी रहा। मैं तीन-चार घंटे रोज पढ़ाई करती हूं। मेरी मैथ्स और स्टेटिक्स में हमेशा रुचि रही है। कई बार मुझे लगता है कि जो मैंने पढ़ा है उसे भूल जाती हूंं ऐसे स्थति में मेरे पेरेंंट्स मेरी मदद करते थे।
बेटी पर गर्व
तरु के पिता धर्मेंद्र जैन ने कहा उनकी बेटी ने न केवल माता-पिता का बल्कि राजस्थान का भी नाम रोशन किया है। उन्होंने कहा कि हमें 97 प्रतिशत तक की उम्मीद थी, लेकिन इतनी उम्मीद नहीं थी। धर्मेंद्र ने कहा कि आज गर्व महसूस हो रहा है, हम गौरवान्वित है। वहीं तरु की मां नेहा जैन ने कहा कि आज मुझे मेरी बेटी के नाम से जाना जा रहा है। इस खुशी को व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। यह गर्व करने लायक है। उन्होंने बताया कि हमारा संयुक्त परिवार है और तरु सबके साथ घुलमिल रहती है।
वह पढ़ाई के साथ और कामों में भी रुचि लेती है। नेहा ने कहा कि तरु को सपोर्ट करने की ज्यादा जरूरत नहींं पड़ी। यह खुद परफेक्ट है। इस पर ज्यादा प्रेशर डालने की जरूरत नही है। उन्होंने कहा कि हम तरु के सपने करने के लिए उसके साथ हैं। उसे अपने फैसले लेने की पूरी आजादी है। वह आगे जो भी पढ़ाई या करियर के बारे में तय करेगी हम उसका पूरा साथ देंगे। आगे सब कुछ इसके ऊपर छोड़ रखा है।
साभार: दैनिक भास्कर
वैश्य समाज का नाम रोशन करते दसवी के टोपर
वैश्य समाज के बच्चो ने फिर से समाज का नाम रोशन किया हैं. 10th CBSE के परिणाम में सम्पूर्ण भारत से टॉप थ्री पोजीशन पर 64 बच्चो में 25 वैश्य समाज से हैं. बहुत बधाई आप सभी को. कुछ तो बात हैं की हस्ती मिटती नहीं हमारी. हमें आरक्षण की भीख नहीं चाहिए. बहुत हिम्मत हैं हम में. अपना रास्ता खुद बनाते हैं.
1st. position.
1. TARU JAIN JAIPUR
2. YOGESH GUPTA JAUNPUR
3. VATSAL VARSHNEYA MEERUT
4. APOORVA JAIN GHAZIABAD
5. SHIVANI LATH- NOIDA
6. DHATRI MEHTA THANE
7. ANKIT SAHA HYDERABAD
8. SHIVIKA DUDANI DELHI
2nd POSITION
1. KASHVI JAIN AMBALA
2. DRISHTI GUPTA PANCHKULA
3 AYUSHI SHAH AJMER
4. MALLIKA MANDAL NOIDA
5. RADHIKA GUPTA NOIDA
6. MANAN GUPTA GHAZIABAD
7. NEHA JAIN
3rd POSITION
1. SHUBH AGRAWAL MEERUT
2. RAGHAV SINGHAL GHAZIABAD
3. ANMOL GUPTA NOIDA
4. MEHUL GARG GHAZIABAD
5. ISHITA AGRAWAL GHAZIABAD
6. RIDHIMA GUPTA GHAZIABAD
7. PIYA GUPTA GURUGRAM
8. NEHA JAIN DELHI
वैश्य समाज के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए मेरे ब्लॉग " हमारा वैश्य समाज" पर जाए
https://praveengupta2010.blogspot.com/
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